Wednesday, June 27, 2012

वो खत

 आज भी तेरा पहला खत
मेरी इतिहास की किताब में हैं
उसका रंग गुलाबी से पीला हो गया
मगर खुशबू अब भी पन्नो में है

 उसके हर एक शब्द हमारी
प्रेम कहानी बयां करते है
और तनहाई में मुझे
बीते समय में ले चलते हैं
 वो खत मेरी जिन्दगी का
 हिस्सा नही ,जिन्दगी है  
 हर दिन पढने की उसे 
बढती जाती तृष्णगी है





क्योंकि वह पिता हैं

 पिता। ऐसा शब्द, जो मजबूती का एहसास कराता है। उसके होने से दुनिया से लड़ने की ताकत आ जाती है। कहते हैं कि जो चीज हमारे पास होती है, उसकी अहतियत कम हो जाती है। जिनके पिता हैं, और ‘पैरों पर खड़े’ हो गए हैं, उनके लिए शायद पिता के होने या न होने का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जब एक बच्चा, जिसके पिता नहीं है, किसी बच्चे को अपने पिता की उंगली पकड़कर जाते हुए देखता, तो उसके दिल में झांक देखें तो पता चलेगा कि पिता की अहमियत क्या है? ‘फादर्स डे’ पर अच्छी-अच्छी बातें की जाती हैं। कई लोग बताते हैं कि कैसे उनके पिता ने उन्हें मुसीबतें झेलकर जवान किया, किसी काबिल बनाया। कुछ ऐसे भी हैं, जो अक्सर पिता से कहते सुने जाते हैं, ‘सभी अपनी औलाद के लिए कष्ट झेलते हैं, आपने क्या नया कर दिया?’ या यह कि ‘आपने हमारे किया ही क्या है?’ इस तरह के शब्द सुनने वाले पिता पर क्या गुजरती होगी, यह वही जानता है। उस पिता को रात में नींद नहीं आती, जिसे पता चले कि जिस बेटे को इंजीनियर बनाने के लिए दूसरे शहर में भेजा और जिसकी पढ़ाई के लिए उसने सब कुछ दांव पर लगा दिया, वह किसी महिला की चेन लूटता हुआ पकड़ा गया है। पिता का अतीत कितना भी काला रहा हो, लेकिन उसकी भी दिली ख्वाहिश यही होती है कि उसकी संतान किसी काबिल बने।
‘फादर्स डे’ पर बच्चों को जानना चाहिए कि उनके पिता ने उन्हें भले ही जमाने की सुख-सुविधाएं नहीं दी हों, लेकिन उसकी ख्वाहिश तो सारे जहां की नेमतें अपने बच्चों को देने की होती है। ऐसा नहीं होता है, तो गलती पिता की नहीं, हालात और मजबूरी की होती है। पिता के प्यार को दौलत की तराजू में नहीं तौला जा सकता। उसको तौलने के लिए तो दिल की तराजू चाहिए। जब आप पिता-पुत्र के प्यार को तोलेंगे, तो पिता के प्यार का पलड़ा भारी रहेगा। उस सूरत में भी जब पिता की नाफरमानी करते हुए संतान उनका दिल दुखा चुकी हो। इस ‘फादर्स डे’ पर अपने पिता के दिल में झांकिए और देखिए कि वह आपसे कितना प्यार करते हैं?




अपना शहर ……

 अजनबी शहर में अपना शहर याद आया |
उसकी हर गली हर एक मोड याद आया ||
 मिला सब यहाँ जो मिला ना था अब तक,
इस शहर ने हर सपने को बनाया हकीकत |
हर उडान पे वो पतंग का उडाना याद आया ,
उसकी हर गली हर एक मोड याद आया ||
 घूमा बहुत मैं और देखी भी बहुत दुनिया,
सपनों की नगरी से लगे बहुत से नगर |
पर अपने शहर सा  कोई भी ना शहर पाया,
उसकी हर गली हर एक मोड याद आया ||
 सोचते थे प्यार लोगों से होता है जगह से नही,
समझे तब जब उससे मीलों दूर हम आ बैठे |
उसकी मोहब्बत में खुद को जकडा पाया,
उसकी हर गली हर एक मोड याद आया ||
उसकी हर गली हर एक मोड याद आया ...........




 जब देखा गली पे बच्चों को खेलते क्रिकेट,
और फिर अपने ही शीशे के टूटने की आवाज |
अपने बचपन का सुहाना दौर याद आया,
उसकी हर गली हर एक मोड याद आया ||