Saturday, November 2, 2013

दीपावली की दीवानगी…

दीपावली की दीवानगी…

Posted On November - 2 - 2013
भारतीय परिप्रेक्ष्य में दीपावली व्यवसायियों का सबसे प्रिय और महत्वपूर्ण त्योहार है। दीपावली व्यावसायिक समृद्धि और प्रगति का प्रतीक है। यही कारण है कि दीपावली के इर्द-गिर्द उपभोक्ताओं को रिझाने के लिए नए-नए प्रयास किये जाते हैं। फिल्म व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए भी दीपावली नयी उम्मीदों और समृद्धि का संकेत सूचक है। तभी तो दीपावली के इर्द-गिर्द अपनी फिल्म के प्रदर्शन को लेकर निर्माता-निर्देशक एड़ी-चोटी का जोर लगाते हैं। वे वह हर संभव प्रयास करते हैं जिससे उनकी फिल्म दीपावली की छुट्टियों के आस-पास प्रदर्शित हो। दीपावली की दीवानगी फिल्मी दुनिया पर इस कदर हावी है कि दीपावली पर बड़ी फिल्मों का प्रदर्शन एक बड़ा और आकर्षक आयोजन बन गया है। एक आंकलन सौम्या  का।

सपरिवार मनोरंजन

दरअसल, दीपावली के आस-पास के दिन फिल्म व्यवसाय के लिए अपेक्षाकृत अनुकूल माने जाते हैं। छुट्टियों का माहौल होता है। लोग सपरिवार छुट्टियों का आनंद लेना चाहते हैं। साथ ही,मनोरंजन के लिए पूंजी निवेश करने में भी वे नहीं हिचकिचाते हैं। ऐसे में, संभवत: सपरिवार मनोरंजन के लिए $िफल्में उनके सामने सबसे प्रिय विकल्प के रूप में उभरती हैं। ..और इस तरह दीपावली के इर्द-गिर्द होने वाली छुट्टियों के दौरान अधिकांश लोग सपरिवार सिनेमाघरों का रुख करने लगते हैं। इन्हीं पारिवारिक दर्शकों को रिझाने के लिए दीपावली के दौरान सपरिवार देखी जाने वाली फिल्मों के प्रदर्शन को प्राथमिकता दी जाती है। इस वर्ष दीपावली के अवसर पर कृष 3 के प्रदर्शन की योजना भी इसी आधार पर बनी।  कृष-3 जैसी फिल्में बच्चों को उनके माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों के साथ सिनेमाघरों तक खींचने में सक्षम होती हंै। गौर करें तो दीपावली के दौरान प्रदर्शित होने वाली अधिकांश $िफल्में पारिवारिक मनोरंजन को ध्यान में रखकर बनायी जाती हैं।

कमाई की गारंटी

पिछले कुछ अर्से से दीपावली के दौरान प्रदर्शन फिल्म व्यवसाय के लिए सुखद संकेत लेकर आता रहा है। फिल्म-प्रदर्शन के लिए दीपावली को कमाई की गारंटी माना जाने लगा है। इसका अंदाजा इस बात से ही लग जाता है कि एक वर्ष से पूर्व ही निर्माता-निर्देशकों के बीच दीपावली के दौरान अपनी फिल्मों के प्रदर्शन की तारीख सुरक्षित करने की होड़-सी लग जाती है। उदहारण स्वरूप अगले वर्ष दीपावली के दौरान शुद्धि के प्रदर्शन के लिए करण जौहर ने तारीख सुरक्षित कर ली है जबकि अन्य बड़े निर्माता-निर्देशक इस दिशा में अभी से प्रयासरत हैं। रोचक है कि अभी से 2015 की दीपावली के दौरान राजश्री प्रोडक्शन की अपनी नयी फिल्म के प्रदर्शन के लिए सलमान खान तारीख सुरक्षित करने की जुगत लगा रहे हैं। इस सन्दर्भ में ट्रेड विशेषज्ञ तरण आदर्श कहते हैं-सभी आजकल अपनी फिल्म के लिए दीपावली की रिलीज़ बुक करना चाहते हैं। उन्हें यह बखूबी पता है कि इस डेट पर फिल्में रिलीज करना मोटी कमाई की गारंटी है। मेरा मानना है कि इस ट्रेंड में कोई बुराई नहीं है।

शुक्रवार का इंतज़ार नहीं

यूं तो आम दिनों में $िफल्में शुक्रवार को प्रदर्शित होती हैं।.. लेकिन जब दीपावली की बात होती है तो इस मौके को भुनाने के लिए फिल्म निर्माता-वितरक फिल्म को शुक्रवार से पहले भी प्रदर्शित करने में नहीं हिचकिचाते हैं। इस बार भी कृष-3 का प्रदर्शन दीपावली के दिन अर्थात रविवार को होना था,पर बाद में इसे बदलकर दो दिन पहले शुक्रवार कर दिया गया। ऐसा माना जाता है कि दीपावली वाले दिन, शाम और रात के कलेक्शन में थोड़ी गिरावट आ जाती है क्योंकि लोग दीपावली का त्योहार मनाने में व्यस्त हो जाते हैं। यही वजह है कि राकेश रोशन ने कृष-3 को दीपावली के दो दिन पहले प्रदर्शित करने का निर्णय लिया। गौरतलब है कि वर्ष 2008 में दीपावली के दौरान फैशन और गोलमाल रिटन्र्स मंगलवार को प्रदर्शित हुई थी तो 2005 में गरम मसाला और शादी नंबर वन बुधवार को प्रदर्शित हुई।

बड़े सितारों की चांदी

हिंदी फिल्म प्रेमियों के दिलों में उनके प्रिय सितारे बसते हैं। विशेषकर प्रथम श्रेणी के सितारों को लेकर सिनेप्रेमियों में इतना उत्साह रहता है कि वे उन्हीं के साथ सिनेमाघरों में दीपावली मनाना चाहते हैं। प्रशंसकों के इसी प्रेम और उत्साह के कारण बड़े सितारे दीपावली के आस-पास अपनी फिल्म के प्रदर्शन को लेकर उत्सुक रहते हैं। यही वजह है कि बड़े सितारों के लिए दीपावली भाग्यशाली साबित हुई है। हालांकि, शाहरु$ख खान के लिए दीपावली कुछ ज्यादा ही सुखद संकेत लेकर आती रही है। शायद यही वजह है कि शाहरु$ख अगले वर्ष दीपावली के दौरान फराह खान निर्देशित अपनी नयी फिल्म हैप्पी न्यू ईयर के प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं।$ खबरों के अनुसार शाहरुख ने फिल्म की निर्देशक फराह खान को इस बारे कहा है।
उधर रणबीर कपूर की निगाहें भी अगले वर्ष की दीपावली पर टिकी हुई हैं। वे अनुराग बसु निर्देशित जग्गा जासूस के प्रदर्शन के लिए अगले वर्ष की दीपावली के दौरान की तारीख सुनिश्चित करना चाहते हैं। यदि रणबीर की ख्वाहिश पूरी हो जाती है तो अगले वर्ष दीपावली की रौनक बढ़ाने के लिए तीन बड़ी $िफल्में शुद्धि, हैप्पी न्यू ईयर और जग्गा जासूस सिनेमाघरों में दस्तक दे सकती हैं।
उम्मीद है कि आने वाले कई वर्षों तक हिंदी सिनेमा यूं ही  दीपावली  के  जगमगाते दीयों से रोशन रहेगा और अपने रंग,ढंग और अंदाज से मनोरंजन के नित नए दीप जलाता रहेगा…।

दीपावली पर प्रदर्शित पिछले दस वर्षों की फिल्में

2012- सन ऑफ सरदार, जब तक है जान
2011- रा.वन
2010- गोलमाल-3,एक्शन रीप्ले
2009- ब्लू, मैं और मिसेज खन्ना,ऑल द बेस्ट
2008- गोलमाल रिटन्र्स,फैशन
2007- सांवरिया, ओम शांति ओम
2006- डॉन, जानेमन
2005- गरम मसाला, शादी नंबर वन
2004- वीर जारा, एतराज
2003- पिंजर, राजा भैया

जश्न-ए-दीपावली

जश्न-ए-दीपावली

Posted On November - 2 - 2013
पर्व दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इस दिन दीपों को प्रज्वलित कर दुनिया को नयी उम्मीदों और नयी ऊर्जा से रोशन करने की घोषणा की जाती है। हिंदी $िफल्मी दुनिया के टिमटिमाते सितारे भी उल्लास और उमंग से यह पर्व मनाते हैं। लाइट, साउंड, कैमरा और एक्शन जैसे संकेत चिह्नïों से दूर दीपावली उन्हें परिवार और दोस्तों के साथ कुछ खुशनुमा पल बिताने का अवसर देती है। ऐसे ही कुछ सितारों की जश्न-ए-दीपावली पर सोम्या की रिपोर्ट।

दीपिका पादुकोण

दीपावली के दिन मैं अपने परिवार के साथ रहना चाहती हूं। सच कहूं तो दीपावली का त्योहार मुझे अपने परिवार के साथ व$क्त बिताने के लिए बेचैन कर देता है। अच्छी बात है कि इस बार दीपावली के दिन मैं अपने परिवार के साथ रहूंगी। दीपावली मेरा सबसे प्रिय त्योहार है। बचपन से ही मैं दीपावली सेलिब्रेशन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रही हूं। मम्मी और छोटी बहन के साथ दीये जलाना मुझे बेहद पसंद है। हम सब  एक साथ मिल कर दीपावली की शाम को लक्ष्मी पूजा करते हैं। मुझे और मेरी बहन को हमारे पेरेंट्स ने हमेशा से बताया है कि पटाखे पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं  इसलिए हम कभी पटाखे नहीं जलाते। बचपन में भी छोटे- मोटे  पटाखे ही जलाते थे। दीपावली के दिन मेरे लिए सबसे खास होते हैं  मां के हाथों से बने कुछ खास व्यंजन और मिठाइयां।

बिपाशा बसु

मुंबई में अपने परिवार और रिश्तेदारों की कमी सबसे अधिक मुझे दीपावली के दिन ही खलती है। मेरे ज्यादातर रिश्तेदार बंगाल में रहते हैं इसलिए दीपावली के दिन उनसे मिलना नहीं हो पाता है। दीपावली के कुछ दिन पहले बड़े पैमाने पर घर की सा$फ-सफाई  करती हूं। ऐसा करने से दीपावली के दिन होने वाली साज-सज्जा और भी $खूबसूरत लगती है । पटाखे मैं बिलकुल नहीं जलाती हूं। लक्ष्मी-गणेश की पारंपरिक पूजा के बाद रसगुल्लों का स्वाद लेती हूं। दीपावली के दिन की सबसे अच्छी बात है कि इस दिन हम सब गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को याद करते हैं और सबकी $खुशी की कामना करते हैं।

रणवीर सिंह

दीपावली का मतलब मेरे लिए फैमिली और फ्रेंड्स के साथ क्वालिटी टाइम बिताना है। मैं दीपावली के दिन होने वाले जुए को पसंद नहीं करता इसलिए दीपावली की पार्टी मुझे बोरिंग लगती है। उस दिन मुझे अपनी फैमिली के बच्चों के साथ खेलना ज्यादा अच्छा लगता है। मुझे पटाखे पसंद नहीं हैं।  दीपावली के बारे में एक बात जो बहुत पसंद है…वह है चारो-तरफ दिखते मुस्कुराते चेहरे। सभी रिलैक्स और खुश नजर आते हैं। दीपावली बिजी शेड्यूल के बीच सेलिब्रेशन का मौका देती है। वैसे  मेरे लिए  दीपावली की सबसे बड़ी हाईलाइट मिठाइयां हैं।

सोनम कपूर

मैं बचपन से बेहद फेस्टिव रही हूं। खासकर दीपावली के लिए बेहद उत्साहित रहती हूं। दीपावली के दिन अक्सर घर की साज-सज्जा की जिम्मेदारी मुझे दी जाती है। मम्मी के साथ मिलकर रंगोलियां बनाती हूं। मुझे दीपावली के दिन दीये से अपने घर को रोशन करना ज्यादा अच्छा लगता है। मोमबत्तियों का हम कम-से-कम इस्तेमाल करते हैं। मुझे तेज आवाज वाले पटाखे पसंद नहीं हैं, रॉकेट और फुलझडिय़ों से ही दीपावली मनाती हूं।  दीपावली रोशनी का त्योहार है, शोर का नहीं। पारंपरिक माहौल में हम दीपावली मनाते हैं।

अनुष्का शर्मा

मैं त्योहारों के दौरान ज्यादा उत्साहित नहीं होती हूं। मेरे लिए दीपावली का दिन दूसरे दिनों की तरह नॉर्मल ही रहता है। ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि मैं बचपन से दीपावली सेलीब्रेशन की तैयारियों में सम्मिलित नहीं रही हूं। मम्मी हमेशा दीपावली के लिए सारी तैयारियां करती हैं। मैंने कभी दीपावली के लिए कुछ नहीं खरीदा है। बचपन में पटाखे फोड़े हैं। बड़े होने के बाद वह भी छूट गया। हां, मेरी कोशिश रहती है कि दीपावली के दिन अपने घर वालों के साथ समय बिताऊं।

रितिक रोशन

दीपावली के आसपास हमारी सिटी बेहद पॉल्यूटेड हो जाती है। मुझे लगता है कि दीपावली के दिन होने वाले पॉल्यूशन के विषय में हमें सोचना चाहिए। पटाखे फोडऩे से ज्यादा पॉल्यूशन होता है। हवा में पटाखों के हानिकारक टुकड़े फैल जाते हैं। मेरी कोशिश रहती है कि बम और पटाखों की तेज आवाज से दूर कहीं शांत और सुकून वाली जगह पर दीपावली मनाऊं। इस बार दीपावली का सेलिब्रेशन मेरे लिए खास है क्योंकि मेरी फिल्म कृष3 रिलीज़ हुई है। उम्मीद है कि मेरे और दर्शकों के लिए कृष3 दीपावली सेलिब्रेशन को और खुशनुमा बनाएगी।

कैसे मनाती हैं दीवाली टीवी सीरियल की रानियां

कैसे मनाती हैं दीवाली टीवी सीरियल की रानियां

Posted On November - 2 - 2013
संगीता
दीवाली एक ऐसा त्यौहार है जिसकी  खुशी कुछ निराली है। हर कोई इसे अपने ढंग से मनाता है लेकिन जिनको हम अच्छे से जानते हैं उनके हर काम पर हमारी नजर रहती है। हमारे ऐसे ही जानने  वालों में आजकल टीवी अभिनेत्रियां  का नाम भी शामिल हो गया है। उन्हें हर रोज  अपने ड्राइंग रूम या बेडरूम में देखते-देखते उनके साथ कुछ ऐसा रिश्ता बन गया है कि वे अपने परिवार का हिस्सा सा ही लगती है। दर्शकों के दिल पर राज करने वाली ये टीवी सीरियल की रानियां दीवाली कैसे मनाती हैं, यह जानने की कोशिश हमने की। किसने दीवाली को लेकर क्या कहा आइये बताते हैं आपको : -
प्रत्युषा बनर्जी
इन दिनों प्रत्युषा बिग बास के घर में है। उम्मीद है वह दीवाली से पहले घर से बेघर नहीं होगी। इस कारण उसकी दीवाली बिग बास के घर में ही मनेगी। लेकिन पिछली बार जब वह ‘बालिका वधू’ की आनंदी के रूप में काम कर रही थी, तब उसकी दीवाली बेहद शानदार रही थी। प्रत्युषा बताती है कि गणेशजी,लक्ष्मीजी और काली मां की मूर्तियों के लिए दीवाली पर हर साल  एक छोटा सा दीवाली घर बनाती हूं। साथ ही दीवाली पर हर साल अपने लिए 3 ड्रेस खरीदती हूं जिन्हें मैं धन तेरस, छोटी दीवाली और बड़ी दीवाली तीनों दिन नए कपडे पहन सकूं। यह सिलसिला मेरी मां ने मेरे लिए मेरे बचपन में शुरू किया था पर अब मैं अपने और अपने परिवार के  लिए  खुद कपडे खरीदती हूं लेकिन  मैं पटाखे जलाने में बहुत सावधानी बरतती हूं क्योंकि बचपन में दीवाली पर मेरा  पैर जल गया था।
अविका गौर
अविका गौर इन दिनों ‘ससुराल सिमर का’ सीरियल से चर्चा में है लेकिन बाल आनंदी के रूप में अविका ने अपने काम से लोगों का जैसा दिल जीता, वह अनुपम था। अविका कहती है— मैं दीवाली का पूरे साल इंतजार करती हूं,मेरे लिए साल में यदि सबसे बेस्ट समय कोई है तो वह दीवाली है। धनतेरस से भैया दूज तक त्यौहार का लम्बा समय जीवन में नया उत्साह भर देता है। एक यही मौका है जब सारा परिवार इकट्ठा होता है। सब एक दूसरे को गिफ्ट देते है। घर में दिए जलते है। जब मैं पूरा शहर एक साथ  जगमग रौशनी से नहाया देखती हूं तो मन खिल उठता है। दीवाली पर मैं नए कपडे खरीदती हूं, थोड़े बहुत पटाखे भी जलती हूं और मिठाई तो खाती ही हूं।
 दीपिका सिंह
सीरियल ‘दिया और बाती’ के अपने संध्या के रोल से से टीवी स्टार बन चुकी दीपिका सिंह भी दीवाली की बात करते चहक सी उठती है। वह कहती हैं— बहुत ही दिलकश उत्सव है  दीवाली। मेरा सबसे फेवरिट फेस्टिवल। दीवाली  में जो बात मुझे सबसे अच्छी लगती है वह है इसकी चमक दमक जिसमे भक्ति और आनंद के खूबसूरत रंग भरे हुए है। इस चमक दमक में शामिल होने के लिए मैं भी इस दिन खूब चमकने दमकने की कोशिश करती हूं। नए कपड़े खरीदना तो सबसे बड़ा अधिकार सा ही हो जाता है इस दिन,फिर बाकी साल में मिठाई खाओ या नहीं इस दिन मिठाई भी बिना रोक टोक और बिना सोचे समझे मजे मजे में खाती हूं। गणपति बाबा और महालक्ष्मी की पूजा का इस दिन तो अलग ही सुख मिलता है। अपने परिवार, दोस्त यहां तक कि पड़ोसियों से भी इस दिन मिलना जुलना हो जाता है और एक दूसरे से गिले शिकवे भी दूर किये जा सकते हैं।
 
दीपिका सेमसन  
‘ससुराल सिमर का’ की  सिमर यानी दीपिका सेमसन  भी दीवाली को पसंद तो करती है और इसे मनाती भी है लेकिन दीवाली का शोर उसे विचलित भी करता है। दीपिका कहती है— मुझे दीवाली क्रिसमस दोनों ही पसंद है। लेकिन मुझे यह डर लगा रहता है कि कहीं अनार या कोई बड़ा बम कोई अप्रिय घटना को आमंत्रित ना कर दे।
इसलिए मैं इनका बहुत कम और सावधानी से इस्तेमाल करती हूं। हालांकि रॉकेट की तो आवाज से ही मुझे बहुत डर लगता है और उसके शोर से बचने के लिए मैं इयर प्लग लगा लेती हूं। मैं चाहती हूं दीवाली शोर मुक्त हो तो ज्यादा बेहतर होगा। हां दीवाली पर नए कपड़े पहन घर को  रौशनी से सजाना और मिठाई खाना तथा लोगों से मिलना जुलना मुझे सुहाता है।