किसी की खातिर अल्ला होगा, किसी की खातिर राम,
लेकिन अपनी खातिर तो है, मां ही चारों धाम
... पर एक दौर ऐसा आया कि मां कहीं खो गई। नजरों और दिल नेे उसे बहुत खोजा पर वह मिल न सकी। शायद वह दूर जा चुकी थी, दूर, बहुत दूर, इतनी दूर की शायद ही कभी उससे मुलाकात होगी। उसके खोने के बाद अहसास हुआ कि जिंदगी इतनी आसान नहीं होती, उसके जाने के बाद मालूम पड़ा कि वही तो थी जो मुझे महफूज रखती थी, वही तो थी जो मुझे दुनिया की बेदर्दी से दूर रखती थी।
जो मां के बाद अनाथ हो गए वे अपने विचार लिखें...