व्रत, त्योहार, उत्सव भागते जीवन में ठहराव लाते हैं और ठहरे जीवन में गति।
हर त्योहार अलग ऋतु, अलग प्रयोजन और अलग कहानी लिए होता है। दशहरा असत्य
पर सत्य, दीपावली विजयी और बिछुड़ों के स्वागत, होली मेल-मिलाप तो क्रिसमस
और ईद कुर्बानी की सीख का भाव लिए हैं। जबकि करवा चौथ एक ही दिन में वे
सारे भाव लिए है, जो हर त्योहार अलग-अलग। इसमें पति के लिए पत्नी की त्याग
भावना भी है और शाम को लौटे पति के स्वागत का भाव भी है। इस त्योहार में
निराहार रहकर इंद्रियजीत का तप भी है और तमाम मतभेदों को भुलाकर फिर
मेल-मिलाप से रहने की सीख भी।
करवा चौथ यानी पत्नी पति के लिए पूरा दिन निर्जल-निराहार रहकर व्रत करे
चन्द्र भगवान को अघ्र्य देकर उसकी सलामती की प्रार्थना करे, लेकिन अगले दिन...? फिर से वही रूठना-मनाना, कभी बच्चों को लेकर किच-किच तो कभी कुछ और। करवा चौथ के दिन उमड़ा प्यार 24 घंटे बाद ही कहां गायब हो जाता है? ऎसे में करवा चौथ का यह त्योहार अपने नाम में लगे चौथ शब्द को सार्थक करते हुए चार बड़ी सीखें दे देता है, जो हर दंपती अपने जीवन में उतार ले तो करवा चौथ का यह प्यार हमेशा-हमेशा के लिए बना रहा।
स्व-नियंत्रण
भले ही निराहार रहने से दिन-भर काम के लिए शारीरिक ऊर्जा में कमी आ रही हो, प्यासे रहने से प्राण कंठ में अटके हों, इस दिन का पवित्र भाव स्व-नियंत्रण की शक्ति देता है। पति की भलाई के लिए सारे कष्ट छोटे नजर आते हैं। ऎसा भी होता है, जब पत्नी रूग्ण है या चोटिल है, चिकित्सकीय देख-रेख में है या गर्भवती है, लेकिन ऎसे में भी वह इस दिन को नहीं भूलती। कहां से आती है ऎसी भाव-शक्ति? मन के भीतर जमा ऎसा कौन-सा विश्वास और आस्था है जो उसे भूख-प्यास भुलाए रखती है? असल में पति की मंगल कामना का भाव ही उसे खुद पर नियंत्रण रखने की शक्ति देता है।
मतभेद भले हों, मनभेद न हों
हर विचारशील मस्तिष्क को अपने स्वतंत्र विचार रखने का प्राकृतिक अधिकार है, लेकिन साथी की इस स्वतंत्रता का अतिलंघन न हो। भारतीय संस्कारों ने हमें कुछ इस तरह गढ़ा है कि पति-पत्नी के बीच कितनी ही अनबन हो, पत्नी करवा चौथ के इस व्रत को कभी नहीं भूलती। पति से लाख झगड़े भी उसे इस व्रत को करने से रोक नहीं पाते और इस व्रत के बाद शाम को रूठे पति का मानना भी तय है, भले बोलचाल कई दिनों से बंद हो। कहां चला जाता है कई दिन का गुस्सा? जब तमाम मतभेद एक दिन के लिए भुलाए जा सकते हैं तो तमाम उम्र के लिए क्यों नहीं?
समर्पण
पूर्णतया पति को समर्पित होने का भाव ही करवा चौथ है। दुनिया में सिर्फ वही है, जिसके लिए आपने सुख-दुख, भूख-प्यास, किसी को नहीं देखा। रोज यह समर्पण कहां गायब हो जाता है? समर्पित होने का मतलब यह भी नहीं है कि आप उनकी सारी बातें मानें, भले ही वे कितनी ही गलत हों, लेकिन उनका विरोध झगड़े या जिद की बजाय किसी और तरीके से करने की कोशिश करें।
प्रसन्नता की तलाश
इस दिन आप भूखी-प्यासी हैं, फिर भी खुश हैं। सभी चीजों या साधनों की प्राप्ति का एक ही उद्देश्य है, वह है मन की संतुष्टि। करवा चौथ के रोज आपने संतुष्टि का यह भाव अपने में भर रखा है। साधनों या चीजों की कमी या उनके न होने से भी आज आपको कोई फर्क नहीं पड़ रहा। प्रसन्नता की तलाश संतुष्टि पर खत्म होती है। ऎसे में करवा चौथ की चौथी सीख यही है कि अगर प्रसन्नता की तलाश में आप हैं तो जीवन से संतुष्ट होना सीखना होगा।
बस दो मिनट
ये चारों सीखें, जो यह पर्व हमें सिखाता है, अगर इन्हें चिरस्थायी बना लिया तो हमारा हर दिन, हर पल उमंग भरा, सोद्देश्य और त्योहारी उल्लास से भरा होगा। इसके लिए रोजाना दैनिक दिनचर्या से पहले चाहिए केवल दो मिनट। प्रात: काल उठने के बाद सबसे पहले आंख बंद कर ध्यान मुद्रा में बैठें और फिर...पहले मिनट सोचें
किन बातों को करने से आपका आज का दिन ज्यादा निकटताभरा हो सकता है?
छोटी-छोटी चीजें, जो एक दूसरे के लिए की जा सकती हैं, जैसे गाड़ी ही साफ कर दी, एक को ऑफिस के लिए देर हो रही हो तो दूसरे ने तुरंत घर की सफाई कर दी। उस दिन पहने जाने वाले एक-दूसरे के जूते-चप्पल निकाल कर, पॉलिश करके रख दिए। पत्नी को दफ्तर में देर हो रही है तो खाने की कुछ तैयारी कर दी या बच्चों का होम वर्क करवा दिया। ऎसे तमाम कई तरह के काम हैं, जो होते तो बहुत छोटे हैं, लेकिन कर दिए जाएं तो काफी मायने रखते हैं।
दोनों कामकाजी हैं और काम को लेकर चिक-चिक है तो फिर आज सुबह ही यह तय कर लेंगे कि किसको क्या करना है।
दोनों सुबह की चाय हर हाल में साथ पिएंगे।
एक पल के लिए दोनों एक दूसरे का हाथ थामेंगे और कुछ सेकंड्स के लिए ही सही, एक दूजे को प्यार भरी नजरों से देखेंगे।
दोनों आज एक-दूसरे की पसंद के कपड़े पहनेंगे और वह भी बिना एक दूसरे को बताए।
किसी गलत काम के लिए कल एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया था, वो गलतफहमी आज दूर करने की कोशिश करेंगे।
दूसरे मिनट सोचें
आज क्या न करने से दोनों का मूड ठीक रखा जा सकता है?
कल बच्चों, साफ-सफाई या जिस किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ। वह झगड़ा आज के दिन पर हावी नहीं होने देंगे।
अगर एक-दूसरे की कोई आदत पसंद नहीं है, तो कम से कम आज पूरे दिन उसकी बुराई करना छोड़ेंगे।
और बस दिनचर्या में इन बातों को ढाल लें। फिर देखिए, करवा चौथ का यह प्यार कैसे हर दिन बरकरार रहता है।
करवा चौथ यानी पत्नी पति के लिए पूरा दिन निर्जल-निराहार रहकर व्रत करे
चन्द्र भगवान को अघ्र्य देकर उसकी सलामती की प्रार्थना करे, लेकिन अगले दिन...? फिर से वही रूठना-मनाना, कभी बच्चों को लेकर किच-किच तो कभी कुछ और। करवा चौथ के दिन उमड़ा प्यार 24 घंटे बाद ही कहां गायब हो जाता है? ऎसे में करवा चौथ का यह त्योहार अपने नाम में लगे चौथ शब्द को सार्थक करते हुए चार बड़ी सीखें दे देता है, जो हर दंपती अपने जीवन में उतार ले तो करवा चौथ का यह प्यार हमेशा-हमेशा के लिए बना रहा।
स्व-नियंत्रण
भले ही निराहार रहने से दिन-भर काम के लिए शारीरिक ऊर्जा में कमी आ रही हो, प्यासे रहने से प्राण कंठ में अटके हों, इस दिन का पवित्र भाव स्व-नियंत्रण की शक्ति देता है। पति की भलाई के लिए सारे कष्ट छोटे नजर आते हैं। ऎसा भी होता है, जब पत्नी रूग्ण है या चोटिल है, चिकित्सकीय देख-रेख में है या गर्भवती है, लेकिन ऎसे में भी वह इस दिन को नहीं भूलती। कहां से आती है ऎसी भाव-शक्ति? मन के भीतर जमा ऎसा कौन-सा विश्वास और आस्था है जो उसे भूख-प्यास भुलाए रखती है? असल में पति की मंगल कामना का भाव ही उसे खुद पर नियंत्रण रखने की शक्ति देता है।
मतभेद भले हों, मनभेद न हों
हर विचारशील मस्तिष्क को अपने स्वतंत्र विचार रखने का प्राकृतिक अधिकार है, लेकिन साथी की इस स्वतंत्रता का अतिलंघन न हो। भारतीय संस्कारों ने हमें कुछ इस तरह गढ़ा है कि पति-पत्नी के बीच कितनी ही अनबन हो, पत्नी करवा चौथ के इस व्रत को कभी नहीं भूलती। पति से लाख झगड़े भी उसे इस व्रत को करने से रोक नहीं पाते और इस व्रत के बाद शाम को रूठे पति का मानना भी तय है, भले बोलचाल कई दिनों से बंद हो। कहां चला जाता है कई दिन का गुस्सा? जब तमाम मतभेद एक दिन के लिए भुलाए जा सकते हैं तो तमाम उम्र के लिए क्यों नहीं?
समर्पण
पूर्णतया पति को समर्पित होने का भाव ही करवा चौथ है। दुनिया में सिर्फ वही है, जिसके लिए आपने सुख-दुख, भूख-प्यास, किसी को नहीं देखा। रोज यह समर्पण कहां गायब हो जाता है? समर्पित होने का मतलब यह भी नहीं है कि आप उनकी सारी बातें मानें, भले ही वे कितनी ही गलत हों, लेकिन उनका विरोध झगड़े या जिद की बजाय किसी और तरीके से करने की कोशिश करें।
प्रसन्नता की तलाश
इस दिन आप भूखी-प्यासी हैं, फिर भी खुश हैं। सभी चीजों या साधनों की प्राप्ति का एक ही उद्देश्य है, वह है मन की संतुष्टि। करवा चौथ के रोज आपने संतुष्टि का यह भाव अपने में भर रखा है। साधनों या चीजों की कमी या उनके न होने से भी आज आपको कोई फर्क नहीं पड़ रहा। प्रसन्नता की तलाश संतुष्टि पर खत्म होती है। ऎसे में करवा चौथ की चौथी सीख यही है कि अगर प्रसन्नता की तलाश में आप हैं तो जीवन से संतुष्ट होना सीखना होगा।
बस दो मिनट
ये चारों सीखें, जो यह पर्व हमें सिखाता है, अगर इन्हें चिरस्थायी बना लिया तो हमारा हर दिन, हर पल उमंग भरा, सोद्देश्य और त्योहारी उल्लास से भरा होगा। इसके लिए रोजाना दैनिक दिनचर्या से पहले चाहिए केवल दो मिनट। प्रात: काल उठने के बाद सबसे पहले आंख बंद कर ध्यान मुद्रा में बैठें और फिर...पहले मिनट सोचें
किन बातों को करने से आपका आज का दिन ज्यादा निकटताभरा हो सकता है?
छोटी-छोटी चीजें, जो एक दूसरे के लिए की जा सकती हैं, जैसे गाड़ी ही साफ कर दी, एक को ऑफिस के लिए देर हो रही हो तो दूसरे ने तुरंत घर की सफाई कर दी। उस दिन पहने जाने वाले एक-दूसरे के जूते-चप्पल निकाल कर, पॉलिश करके रख दिए। पत्नी को दफ्तर में देर हो रही है तो खाने की कुछ तैयारी कर दी या बच्चों का होम वर्क करवा दिया। ऎसे तमाम कई तरह के काम हैं, जो होते तो बहुत छोटे हैं, लेकिन कर दिए जाएं तो काफी मायने रखते हैं।
दोनों कामकाजी हैं और काम को लेकर चिक-चिक है तो फिर आज सुबह ही यह तय कर लेंगे कि किसको क्या करना है।
दोनों सुबह की चाय हर हाल में साथ पिएंगे।
एक पल के लिए दोनों एक दूसरे का हाथ थामेंगे और कुछ सेकंड्स के लिए ही सही, एक दूजे को प्यार भरी नजरों से देखेंगे।
दोनों आज एक-दूसरे की पसंद के कपड़े पहनेंगे और वह भी बिना एक दूसरे को बताए।
किसी गलत काम के लिए कल एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया था, वो गलतफहमी आज दूर करने की कोशिश करेंगे।
दूसरे मिनट सोचें
आज क्या न करने से दोनों का मूड ठीक रखा जा सकता है?
कल बच्चों, साफ-सफाई या जिस किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ। वह झगड़ा आज के दिन पर हावी नहीं होने देंगे।
अगर एक-दूसरे की कोई आदत पसंद नहीं है, तो कम से कम आज पूरे दिन उसकी बुराई करना छोड़ेंगे।
और बस दिनचर्या में इन बातों को ढाल लें। फिर देखिए, करवा चौथ का यह प्यार कैसे हर दिन बरकरार रहता है।