Friday, April 25, 2014

मेरा वचपन

मेरा वचपन

 




मेरा वचपन माँ के होते हुये भी बिन माँ के कटी,
 फिर भी मेरी माँ दुनिया कि सबसे अच्छी माँ है मै तो अहसानमंद हूँ,
 कि उनके कारण ही मै इस खुबसुरत दुनिया को देख पाया,,

मुझे बचपन में मेरी उम्र के हिसाब से कुछ ज्यादा ही रोटियां दिया करती थीं
. इंटरवल में सारे बच्चे जल्दी जल्दी खाना ख़त्म करके खेलने चले जाते थे,
. और मै अपना खाना ख़त्म नहीं कर पता था.,
 
 तो डब्बे में हमेशा ही कुछ न कुछ बच जाता था,
, और मुझे रोज़ डांट पड़ती थी. मेरी बहन भी घर आ के शिकायत करती थी,
 कि उसे छोड़ के इंटरवल में मै खेलने भाग जाता हूँ.

एक दिन मेरी बहन मेरे साथ स्कूल नहीं गई,
. मै ख़ुशी ख़ुशी घर आया और दादी को बताया की मैंने आज पूरा खाना खाया है,
. दादी को यकीन नहीं हुआ, उन्होने डब्बा खोला और मुझे दो झापड़ लगा दिए.

फिर दादी बोली की आज तुमने अपना पूरा खाना फेक दिया इसलिए मार पड़ी है,
. मुझे मालूम है की मै तुम्हे ज्यादा खाना देती हूँ,
 और तुम छोड़ोगे ही. लेकिन अगर 4 रोटी में से 2 भी खा ली तो कुछ तो तुम्हारे पेट में जायेगा.
ये दादी का प्यार था.

आज भी जब मै ये बात याद करता हूँ, तो मेरी आँखे भर आती हैं,
, और सोचता हूँ की क्या कभी कोई मुझे इतना प्यार कर पाऐगा.
क्योकि इस दुनिया मे प्यार से खेलने वाले बहूत मिलते है


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