Tuesday, November 1, 2011

सवाल

ये दर्द मिट गया तो फिर?
ये ज़ख्म सिल गया तो फिर?
बिछड कर सोचता हूँ मै,
वो फिर से मिल गया तो फिर?
मै तित्लियो के शहर मे,
रहूँ तो मुझ को फिक्र है
वो फूल जो खिला नही,
वो फूल खिल गया तो फिर?
तुझे भी कुछ नही मिला,
मुझे भी कुछ नही मिला,
तमाम उम्र के लिये,
ये दर्द मिल गया तो फिर?
मै इस लिये तो आज तक,
सवाल भी ना कर सका
अगर मेरे सवाल का,
जवाब मिल गया तो फिर?

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