साथ जो है तुम्हारा तो हर पल सुहाना लगता है
ना होगा कभी कोई गम ऐसा मुझे लगता है
जानते तो नही है के मुस्तक़बिल मे लिखा क्या है
गर जो तुम साथ ना हुए तो डर लगता है
इस पहेली को भुझाने मे एक ज़माना लगता है
है सच ये के उदास हो तुम मुझ से दुर होकर
पर हंसता चेहरा तुम्हारा एक बहाना सा लगता है
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