बॉलीवुड के हर दौर में यादगार, बापू का किरदार
दर्शन, विचार, आदर्श व्यक्तित्व का नाम आते ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
की याद आती है। 2 अक्टूबर 1869 को जन्मे महात्मा गांधी ऎसी शख्सियत थे,
जिनका प्रभाव हर क्षेत्र में रहा। यही वजह है कि कोई क्षेत्र उनसे अछूता
नहीं रहा। भले ही वह हिंदी सिनेमा या बॉलीवुड ही क्यों न हो?
फिल्म
निर्माताओं ने हर दौर में गांधी पर बनी फिल्में दर्शकों के समक्ष पेश की
और इन फिल्मों के माध्यम से समाज को संदेश दिया। गांधीजी स्वयं एक दस्तावेज
थे जो फिल्म निमाताओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने और इसी प्रेरणा को
निमाताओं ने ऑनस्क्रीन पेश किया। इन फिल्मों के जरिए संदेश देने के साथ-साथ
फिल्म निर्माताओं ने व्यंग्य भी पेश किए।
वैसे तो गांधी के
जीवन पर कई डॉक्यूमेंट्रीज व फिल्में बनी। रिचर्ड एटनबरो की फिल्म "गांधी"
से लेकर राजू हिरानी की "लगे रहो मुन्नाभाई" सिनेमाघरों में गांधी की आंधी
चली। आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर गांधी के नाम पर बनी कुछ खास फिल्में लेकर
आया है पत्रिका डॉट कॉम।
गांधी (1982)
महात्मा
गांधी के नाम पर बनी फिल्मों में सबसे पहले नाम आता है तो वह फिल्म
"गांधी"। रिचर्ड एटनबरों की इस फिल्म ने गांधी को ऑनस्क्रीन जिंदा कर दिया।
इस फिल्म के जरिए फिल्म निर्माता लाखों दर्शकों को दिल जीता। इस फिल्म के
एक सीन को कभी नहीं भूल सकते। वह है गांधी के अंतिम संस्कार में उमड़े जन
सैलाब का। कहते है कि जब इस सीन की शूटिंग की गई थी तब 4 लाख लोग इकट्ठा
हुए थे। जबकि केवल 25 हजार बतौर एकस्ट्रा कास्ट किया गया था और इन्हें ही
सीन की पगार दी गई थी लेकिन इतनी भीड़ का इकट्ठा होना गांधीजी के प्रति
प्यार था। बेन किंग्सले ने गांधी के किरदार में जान डाल दी थी।
स्टारर : बेन किंग्सले, रोहिणी हटंगणी।
गांधी माई फादर (2007)
फिरोज
अब्बास खान निर्देशित इस फिल्म में महात्मा गांधी और उनके बेटे के कटु
रिश्तों को फोकस करते हुए बेटे की मनोस्थिति दशाई गई है। इस फिल्म को नेशनल
फिल्म अवॉर्ड में तीन अवॉर्ड मिले। एशिया पैसेफिक अवाडर्स समारोह में
बेस्ट स्क्रीनप्ले का अवॉर्ड मिला। दर्शन जरीवाला को बेस्ट सपोर्टिग एक्टर
का अवॉर्ड मिला।
स्टारर : अक्षय खन्ना, भूमिका चावला, शेफाली शाह, दर्शन जरीवाला
गांधी की शादी में जरूर आना
डायरेक्टर
प्रणव धीवर की फिल्म "गांधी की शादी में जरूर आना" एक रोमेंटिक कॉमेडी
फिल्म है। इसमें महात्मा गांधी और कस्तुरबा गांधी की लवस्टोरी पेश की गई
है। इस फिल्म के विषय को लेकर विवाद भी हुए थे।
द मेकिंग ऑफ महात्मा (1996)
श्याम
बेनेगल निर्देशित यह फिल्म महात्मा गांधी के शुरूआती जीवन की कहानी बयां
करती है। गांधी जी के साउथ अफ्रीका में बिताये हुए 21 साल। महात्मा का
किरदार निभाने के लिए रजित कपूर को बेस्ट ऎक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला
था।
स्टारर: रजत कपूर, पल्लवी जोशी
बाबा साहेब अम्बेडकर (2000)
जब्बार
पटेल की फिल्म "बाबा साहेब अम्बेडकर" असहयोग आन्दोलन की नीति और भूख
हड़ताल को पेश किया गया है। इसमें नकारात्मक पहलु पेश किया गया है। ममूठी
ने इस फिल्म के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार में बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड जीता
था।
स्टारर: ममूटी, मोहन गोखले, सोनाली कुलकर्णी
हे राम (2000)
साउथ
स्टार कमल हासन की फिल्म हे राम में नकारात्मक दृष्टि कोण पेश किया गया
है। इसमें धर्म के नाम पर हिंसा दिखाई गई है। हालांकि गांधी का सकारात्मक
रूप पेश किया गया है। यह तमिल फिल्म ओ राम का हिंदी वर्जन है।
स्टारर : कमल हासन, शाहरूख खान, रानी मुखर्जी
मैने गांधी को नहीं मारा (2005)
निर्देशक
जानू बरूआ की फिल्म "मैंने गांधी को नहीं मारा" डिमेंशिया जैसी बीमारी से
पीडित एक प्रोफेसर की कहानी पेश की गई है। उस प्रोफेसर को भ्रम होता है कि
उसने गांधी को मारा है। अनुपम खेर इस किरदार में बिल्कुल फिट बैठे है।
स्टारर : अनुपम खेर, उर्मिला मातोंडकर
लगे रहो मुन्नाभाई (2006)
राजू
हिरानी की फिल्म "लगे रहो मुन्नाभाई" ने दर्शकों को दिल जीत लिया। फिल्म
में गांधीगिरी को दमदार तरीके से पेश किया है। फिल्म को जब जब भी देखते है
ऎसा लगता है कि गांधीजी साक्षात हमें सत्य और अहिंसा की प्रेरणा दे रहे है।
फिल्म के माध्यम से संदेश दिया गया है कि महात्मा गांधी की सत्य व अहिंसा
की प्रेरणा से फिल्म का नायक अपनी जंग जीतता है और लोगों में लोकप्रिय होता
है। फिल्म में कॉमेडी अंदाज के साथ बहुत प्रभावशाली मैसेज दर्शकों तक
पहुंचाया गया है।
स्टारर: संजय दत्त, अरशद वारसी, विद्या बालन, बोमन ईरानी
रोड टू संगम (2009)
अमित
रॉय निर्देशित इस फिल्म में एक मैकेनिक की कहानी दिखाई गई है जो एक कार की
मरम्मत करता है और फिर उस पर गांधी की अस्थियां रखकर ले जाता है जिन्हें
त्रिवेणी संगम में विसर्जित किया जाता है। वह मैकेनिक मुसलमान होता है। इस
फिल्म के जरिए संदेश दिया गया है कि हिंदू और मुसलमानों एक साथ सहयोग से
देश को प्रगति के पथ पर ले जाया जा सकता है।
स्टारर: परेश रॉवल, ओम पूरी, पवन मल्होत्रा
डॉक्यूमेंटीज
गांधीजी
के जीवन पर बनी डॉक्यूमेंटीज में से महात्मा: लाइफ ऑफ गांधी और महात्मा
गांधी ट्वेटिन्टएथ सेंचूरी यह दोनों बहुत चर्चित रही। लाइफ ऑफ गांधी में
गांधीजी के जीवन की घटनाओं और उनके सिद्धांतों का वृत्त चित्र प्रस्तुत
किया गया है।
केवल दो फिल्में देखी
गांधीजी के
नाम पर कई फिल्में बनी जो दर्शकों के लिए प्रेरणादायक रही। गांधीजी ने अपने
जीवन में केवल मात्र दो फिल्म देखी। वे हैं मिशन टू मास्को और रामराज्य।
भले ही उन्होंने दो फिल्में देखी हो लेकिन वे देश में एक ऎसी पहचान,
शख्शियस है जिसको ऑनस्क्रीन और ऑफस्क्रीन कभी नहीं भूलाया जा सकता।
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