Tuesday, October 22, 2013

चांद तो एक बहाना है हमको साथ निभाना है


 चांद तो एक बहाना है हमको साथ निभाना है


शरद का चांद हो और पति की दीर्घायु की कामना का व्रत ‘करवा चौथ’। भावनाएं वहीं है, उत्साह भी वही है, व्रत की परंपराएं भी वही हैं। बस थोड़ा-सा बदलाव यह हुआ है कि अब व्रत का स्वरूप पारस्परिक हो चला है।
फिर से कार्तिक माह है, फिर से कृष्ण पक्ष और फिर से उसकी चतुर्थी। अंधेरी रातों की तरफ बढ़ते हुए चौथा दिन। उत्तर भारत की महिलाओं का प्रमुख त्योहार है करवा-चौथ। पति के कुशल-मंगल, सुख-समृद्धि और दीर्घायु होने की कामना से किया जाने वाला व्रत करवा चौथ। कुछ कहानियां, व्रत, सजना-संवरना, व्यंजन, हंसी-ठिठौली, बहुत सारी भावनात्मकता और पारिवारिकता का व्रत करवा चौथ। हमारी परंपराओं के प्रति हमारी आस्था और पारिवारिक भावनाओं के चलते करवा चौथ का प्रचलन अब देश के उन हिस्सों में भी होने लगा है, जहां इस व्रत की कोई परंपरा नहीं थी। वजह चाहे जो हो, बाजार हो, ग्लैमर हो, प्रचार- प्रसार हो, लेकिन करवा चौथ अब भारतीय संस्कृति का सबसे मुखर प्रतीक होता चला जा रहा है।
बदला है स्वरूप प्रचार-प्रसार के साधनों और इस व्रत से जुड़े ग्लैमर ने इस व्रत को महिलाओं द्वारा किए जाने वाले सबसे अनिवार्य व्रत का रूप दे दिया है। धार्मिक तौर पर शुरू हुए इस व्रत में धीरे- धीरे भावना, समर्पण, प्रेम, ऊर्जा और रस का समावेश होने लगा।
कभी करवा चौथ का व्रत और पूजन आस्था और परंपरा से किया जाता था, लेकिन कुछ सालों में इसमें रस, रंग और सौंदर्य का समावेश हुआ है। यह सामजिक बदलाव के सकारात्मक प्रतीक के तौर पर उभर कर आया है। अब ये सिर्फ व्रत-पूजन विधान तक ही सीमित नहीं है। एकदूसरे के प्रति भावना का प्रदर्शन, बड़ों के प्रति ऊष्मा की अभिव्यक्ति, खुद के लिए वक्त और रिश्तेदारों के साथ मिलने, वक्त बिताने के दिन की तरह करवा चौथ का उत्सव हुआ करता है।
सबके लिए मंगल कामना हमारे यहां रिश्ते और परिवार सुखी जीवन के लिए सांस की तरह हुआ करते हैं। ये न सिर्फ सामाजिक सच है, बल्कि मनोवैज्ञानिक सच भी है। पारिवारिक सुख इंसान को कई मुश्किलों, तनावों और दबावों से बचाता है और उसे सहने की क्षमता देता है और परिवार की शुरुआत होती है दांपत्य जीवन से। दांपत्य जीवन सुखी सतुंष्ट होने पर ही पारिवारिक खुशी निर्भर करती है। इसी पर सारे व्रत-त्योहारों की प्रासंगिकता निर्भर करती है।
उत्सव का मौका अब इस तरह के मामले भी सामने आने लगे हैं, जिसमें पति-पत्‍नी दोनों ही एक-दूसरे के लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए साथ-साथ व्रत करते हैं। जो भी हो करवा चौथ के ग्लैमर ने इस हमारी परंपरा का बहुत महत्त्वपूर्ण उत्सव का रूप दे दिया है। हम इस विचार से आगे आ गए हैं कि इसका संबंध सिर्फ पति की मंगल कामना और दीर्घायु से ही है। ये पारिवारिक सुख-समृद्धि और पारिवारिक उत्सव का भी मौका हुआ करता है।
बदली भूमिका में बदला अर्थ स्त्री की भूमिका में बड़ा और क्रांतिकारी बदलाव आया है। पारंपरिक समाज के सारे मूल्य, व्यवस्था, दर्शन और विचार सब-कुछ पुराने हो चले हैं। पढ़ाई-लिखाई और आत्मनिर्भरता से स्त्रियों का व्यक्तित्व प्रखर हुआ है और सोचने का तरीका बदला है। बहुत बदलाव के बावजूद अब भी हमारे लिए पारिवारिक जीवन हमारी हर प्राथमिकता से ऊपर होता है। हमारे समाज की स्त्री सामंजस्य की हर संभव कोशिश करती है और जरूरत पड़ने पर अपनी शिक्षा को एक तरफ रखकर अपनी महत्त्वकांक्षा तक छोड़ देती है। ऐसे पुरुष की भूमिका में बदलाव भी अपेक्षित है, क्योंकि सामंजस्य के लिए दो पक्षों की जरूरत हुआ करती है। पूरे बदलाव को अकेले साध पाना स्त्री के अकेले के बस की बात नहीं है और यहीं आकर करवा-चौथ के संदर्भ भी बदलते हैं और प्रसंग भी। बदलते वक्त में सामाजिक बदलाव आवश्यक है। स्त्री के पढ़ने-लिखने और कमाने के बाद सामाजिक संरचना में मूलभूत बदलाव आ ही रहे हैं। बदलाव कैसे भी हों, असुविधाजनक हुआ करते हैं। स्त्री अपनी दोहरी भूमिका के बदले पारिवारिक सहयोग और सामंजस्य की अपेक्षा रखती है।
हमको साथ निभाना है करवा चौथ की थाली पूजा के लिए सबसे जरूरी होती है थाली, जिसमें सारी पूजन सामग्री को इस तरह से सजाया जाता है कि पूजा शुरू होने के बाद आपको हर चीज ढूंढनी न पड़े। यानी रोली, सिंदूर,चावल, मिठाई सारी सामग्री व्यवस्थित तरीके से थाली पर रखी हो। चांदी, कांसे और पीतल से तैयार साधरण थालियों को काफी खूबसूरती से सजाया जा सकता है। किसी में छोटे-छोटे कांच की सजावट होती है तो किसी में अलग-अलग रंगों का प्रयोग कर उसे डिफरेंट लुक दिया जाता है। आप चाहें तो अपनी पूजा की थाली खुद भी अपने अनुसार सजा सकती हैं।
चांद का डिजाइनर दर्शन करवाचौथ यानी सुहागिन स्त्रियों का ऐसा त्योहार जिसका साक्षी चंद्रमा स्वयं बनता है। रिश्ते को रोशन करने इस दिन उगने वाले चांद का महत्व ही कुछ अलग होता है। आप भी नहीं चाहेंगी कि पति की लंबी उम्र की कामना और एक-दूसरे के लंबे साथ को समर्पित इस पर्व को निभाने में किसी प्रकार की कमी रह जाए।
आपने नए डिजाइनर कपड़े तो ले लिए, अब डिजाइनर मेंहदी लगवाने की भी पूरी तैयारी हो चुकी है तो फिर भला पूजन विधि में इस्तेमाल होने वाली चीजें नए जामाने की और डिजाइनर क्यों न हो। तकनीक के इस दौर में जब सारी चीजें आधुनिक हो रही हैं तो फिर करवा चौथ को भी उस फेहरिस्त में क्यों न शामिल कर लें। इससे आपके करवा चौथ की पूजा यादागार बन जाएगी।
सजा-धजा करवा जल भरने के लिए यदि डिजाइनर मटकी हो तो फिर क्या बात है। साधारण सी नजर आने वाली मिट्टी की बनी मटकी को कई रंगों और डिजाइन्स वाले स्टोन और बीड्स से सजाया जाता है। इसकी डिजाइनिंग के दौरान इस बात का ख्याला रखा जाता है कि उसकी पारंपरिक झलक खत्म न हो और ऐसी मटकियों की डिमांड काफी अधिक होती है। जब आपने सारी चीजें अलग अंदाज में की है तो फिर मटकी को इससे दूर क्यों रखा जाए। आजकल कम वजन वाली और आरामदायक मटकियां कई अलग-अलग आकार और साइज में उपलब्ध हैं। इन मटकियों को इस तरह से तैयार किया जाता है कि उससे थोड़ा भी पानी रिसे नहीं और न ही उस पर किसी चीज का निशान पड़े। इन सबके बावजूद इसकी कीमत कम रखने का प्रयास किया जाता है।
करवाचौथ यानी चूड़ी, सिंदूर, सजना, कंगना शादीशुदा महिलाओं के लिए करवाचौथ बहुत खास दिन होता है। इस दिन महिलाएं चाहे वह किसी भी उम्र की हो, दुल्हन की तरह सजना चाहती हैं।
करवाचौथ के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाते हुए त्योहार के दौरान भी आप चमकती-दमकती नजर आ सकती हैं। अच्छा दिखने के लिए राइट डाइट, एक्सरसाइज, भरपूर नींद और रिलैक्सेशन बहुत जरूरी है। सच्चाई तो यह है कि हेल्दी लाइफस्टाइल आपकी खूबसूरती को बनाये रखने में सहायक है। त्योहार के कुछ हफ्तों पहले ही थोड़ी एक्सरसाइज जैसे टहलना शुरू कर दें लेकिन अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। टहलना मन और मस्तिष्क दोनों के लिए अच्छा होता है।
डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज भी मन को शांति देने में सहायक होती है।

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