Wednesday, October 23, 2013

निर्जल व्रत में ही छिपा है दो दिलों का मिलन

निर्जल व्रत में ही छिपा है दो दिलों का मिलन

भारत में शादी सिर्फ दो इंसानों के बीच का संबंध नहीं बल्कि दो परिवारों का मिलन माना जाता है. जिस शादी से दो इंसानों और परिवारों की डोर बंधी हो उसे निभाने के लिए कई तरह के रीति-रिवाज होते ही हैं. उन्हीं में से एक है करवाचौथ. यह पर्व कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर उत्तर भारतीय परिवारों खासकर उत्तर-प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश में पूरी परंपरा और उल्लास से मनाया जाता है.
karva chauth 1क्यों रखा जाता है करवा चौथ का व्रत- What is Karva Chauth
असल में करवा चौथ (Karva Chauth) मन के मिलन का पर्व है. इस पर्व पर महिलाएं दिनभर निर्जल उपवास रखती हैं और चंद्रोदय में गणेश जी की पूजा-अर्चना के बाद अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं. व्रत तोड़ने से पूर्व चलनी में दीपक रखकर, उसकी ओट से पति की छवि को निहारने की परंपरा भी करवा चौथ पर्व की है. इस दिन बहुएं अपनी सास को चीनी के करवे, साड़ी व श्रृंगार सामग्री प्रदान करती हैं. पति की ओर से पत्‍‌नी को तोहफा देने का चलन भी इस त्यौहार में है.


करवा चौथ पर्व की पूजन सामग्री- Karva Chauth Pooja Thali Ingredients
मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, सिन्दूर, बिछुआ, कुंकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, चंदन, अक्षत (चावल), मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे.

रात 8.06 बजे होगा चंद्रोदय- Karva Chauth 2013 Moonrise Timing
करवा चौथ (Karva Chauth) पर 22 अक्टूबर को उच्च राशि वृषभ का चंद्रमा है. साथ ही अंगारक योग (अंगारक चतुर्थी) भी है. मंगलवार को चतुर्थी आने से यह योग बन रहा है. इस दिन उदयकालीन तिथि तृतीया रहेगी और चंद्रोदय रात 8.06 बजे होगा. उच्च राशि का चंद्रमा और चंद्रोदय के समय लाभ का चौघड़िया भी है. यह सभी योग होने से व्रत का पुण्य और फलदायी रहेगा.


करवा चौथ पर्व की पूजन प्रक्रिया- Karwa Chauth Puja Method
जिस दिन करवा चौथ (Karva Chauth) है उससे संबंधित प्रयुक्त होने वाली संपूर्ण सामग्री एकत्रित कर लें. इस दिन सुबह जल्दी स्नानादि करने के बाद यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें.

मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये.
पूरे दिन निर्जल रहते हुए व्रत को संपूर्ण करें और दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें. चाहे तो आप पूजा के स्थान को स्वच्छ कर वहां करवा चौथ का एक चित्र लगा सकती हैं जो आजकल बाजार से आसानी से कैलेंडर के रूप में मिल जाते हैं. हालाकि अभी भी कुछ घरों में चावल को पीसकर या गेहूं से चौथ माता की आकृति दीवार पर बनाई जाती है. इसमें सुहाग की सभी वस्तुएं जैसे सिंदूर, बिंदी, बिछुआ, कंघा, शीशा, चूड़ी, महावर आदि बनाते हैं. सूर्य, चंद्रमा, करूआ, कुम्हारी, गौरा, पार्वती आदि देवी-देवताओं को चित्रित करने के साथ पीली मिट्टी की गौरा बनाकर उन्हें एक ओढ़नी उठाकर पट्टे पर गेहूं या चावल बिछाकर बिठा देते हैं. इनकी पूजा होती है. ये पार्वती देवी का प्रतीक है, जो अखंड सुहागन हैं. उनके पास ही एक मिट्टी के करूए(छोटे घड़े जैसा) में जल भरकर कलावा बांधकर और ऊपर ढकने पर चीनी और रुपए रखते हैं. यही जल चंद्रमा के निकलने पर चढ़ाया जाता है.
करवा चौथ (Karva Chauth) की कथा सुनते समय महिलाएं अपने-अपने करूवे लेकर और हाथ में चावल के दाने लेकर बैठ जाती हैं. कथा सुनने के बाद इन चावलों को अपने पल्ले में बांध लेती हैं और चंद्रमा को जल चढ़ाने से पहले उन्हें रोली और चावल के छींटे से पूजती हैं और पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. कथा के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासूजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें. रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें. इसके बाद पति से आशीर्वाद लें. उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें.

पूजा के लिए मंत्र- Karva Chauth Puja Mantra
‘ॐ शिवायै नमः‘ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय‘ से शिव का, ‘ॐ षण्मुखाय नमः‘ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः‘ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः‘ से चंद्रमा का पूजन करें.


सजने सवंरने का दिन-Karva Chauth Makeup
करवा चौथ (Karva Chauth) के दिन शाम को सुहागिन महिलाएं अपने पति के लिए नई दुलहन की तरह सजती-संवरती है. इसमें 18 साल से लेकर 75 साल की महिलाएं होती हैं. उत्तर भारत में कई जगह कुंवारी लड़कियां शिव की तरह पति की चाहत में व्रत रखती हैं. यह एक ऐसा मौका होता है जहां महिलाएं खुद को सजाने में कोई कमी नहीं रखतीं. करवाचौथ पर सजने के लिए एक हफ्ता पहले ही बुकिंग होनी शुरू हो जाती है. ब्यूटी पार्लर अलग-अलग किस्म के पैकेज की घोषणा करते हैं. आभूषण और कपड़ों की दुकानों में काफी भीड़ देखने को मिलती है. इस दौरान बाजारों में भी चहलकदमी बढ़ जाती है. करवाचौथ पर मेहंदी का बाजार लाखों के पार बैठता है. सुबह से लेकर शाम तक महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी लगवाने के लिए कतार में खड़ी रहती हैं.

बदल गई परंपरा
माना कि परंपरा के अनुसार पतियों का व्रत रखना जरूरी नहीं है लेकिन इस तरह की परंपरा विकसित हो रही है जहां पत्नी के साथ-साथ पति भी व्रत रख रहे हैं. इसीलिए करवाचौथ अब भारत में केवल लोक-परंपरा नहीं रह गई है. पौराणिकता के साथ-साथ इसमें आधुनिकता का प्रवेश हो चुका है और अब यह त्यौहार भावनाओं पर केंद्रित हो गया है. आज पति-पत्नी न केवल एक दूसरे के लिए भूखे रहते हैं बल्कि उपहारों का भी आदान-प्रदान होता है. लिहाजा दोनों ही एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए उपहार खरीदते हैं.

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