Wednesday, October 30, 2013

बहने बांध रही भाई की कलाई पर स्नेह की डोर


बहने बांध रही भाई की कलाई पर स्नेह की डोर


भाई-बहन के रिश्तों में मिठास घोलता रक्षाबंधन का त्योहार जहां मंगलवार को खुशियों का संचार करता नजर आया वहीं देश के कुछ हिस्सों में बुधवार को भी बहनों ने भाई की कलाई पर स्नेह की डोर बांधी। इस बार राखी बांधने का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त भद्रा समाप्ति के पश्चात रात आठ बजकर 48 मिनट से नौ बजकर दस मिनट तक रहने के कारण जहां कई लोगों ने इस समय का इंतजार किया जबकि दिन में भी लाभ एवं अमृत के चौघडिये में राखी बांधने की होड़ रही। बुधवार को भी शुभ मुहूर्त होने के कारण रक्षा बंधन त्योहार मनाया जा रहा है।

भाई-बहन के रिश्ते को अटूट बनाने वाले इस त्योहार का उल्लास अब भी छाया हुआ है। त्योहार की रौनक घरों बाजारों तक नजर आ रही है। बहने अपने भाइयों की कलाई पर उनके सुख-समृद्धि की कामना करते हुए राखी बांध रही है वहीं भाई अपनी बहनों को खूबसूरत गिफ्ट देते हुए उनकी खुशी को दुगुना कर रहे हैं।

सोशल साइट्स पर भी राखी की धूम

इतना ही नहीं, राखी के त्योहार की खुशी और शुभकामनाओं का दौर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी छाया हुआ है। इस हाइटेक युग में जहां बहनों ने अपने भाइयों को सोशल साइट्स के जरिए राखी के ई-ग्रीटिंग्स भेज रहे हैं, वहीं भाइयों ने भी सोशल साइट्स के जरिए अपनी बहनों को शुभकामनाएं भेजी हैं। फ्रैंड्स भी फेसबुक, ट्वीटर आदि के जरिए एक-दूसरे को राखी की शुभकामनाएं दे रहे हैं। राखी की शुभकामनाओं के एसएमएस भेजने का सिलसिला अब भी जारी है।

मुहूर्त को लेकर रहा उहापोह

धर्मशाçस्त्रयों ने 20 अगस्त को भद्रा के पश्चात रात 8.32 बजे के बाद ही त्योहार मनाने को शास्त्र-सम्मत है। इसे लेकर लोगों में ऊहापोह की स्थिति बनी रही। उदया तिथि को देखते हुए अंतत: 21 अगस्त को ही रक्षाबंधन मनाने का लोगों ने निश्चय किया। कुछ इक्का-दुक्का स्थानों पर ऊहापोह के बीच मंगलवार को ही रक्षा बंधन मनाया ग


विदेश में भी मनाया जाता है रक्षाबंधन

भाई-बहन के बीच अटूट बंधन का प्रतीक रक्षाबंधन देश ही नहीं विदेशों में भी अलग अलग तरीकों से मनाया जाता हैं। सावन की पूर्णिमा पर मनाये जाने वाले रक्षाबंधन को भारत ही नहीं पाकिस्तान, नेपाल एवं मॉरीशस के कुछ हिस्सों में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता हैं।


नेपाल में राखी का त्योहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है, लेकिन नेपाल में राखी को जनेऊ कहा जाता है और इस त्योहार को जनेऊ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन घर के बड़े लोग अपने से छोटे लोगों के हाथों में एक पवित्र धागा बांधते हैं। राखी के अवसर पर यहां एक खास तरह का सूप पिया जाता है जिसे कबाती कहा जाता है।


इसी तरह देश के पूर्वी राज्य उड़ीसा में राखी को नमहा पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग गायों और बैलों को सजाते हैं और एक खास तरह की मिठाई और पीठा बनाते हैं जिसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में बांटा जाता है। इस दिन राधा कृष्ण की प्रतिमा को झूले पर बैठाकर झूलन यात्रा भी निकाली जाती है।


इसी तरह महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा में राखी को नराली पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। इस दिन नारियल को समुद्र देवता को भेंट किया जाता है। समुद्र देवता को नारियल चढ़ानेे के कारण ही इसेे नराली पूर्णिमा कहा जाता है।

उत्तराखंड के कुमाऊ इलाके में रक्षाबंंधन को जानोपुन्यु कहा जाता है। इस दिन लोग अपने जनेऊ को बदलते हैं। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, बिहार और झारखंड में इसे कजरी पूर्णिमा कहा जाता है। यह किसानों और महिलाओं के लिए एक खास दिन होता है।


गुजरात के कुछ हिस्सों में रक्षाबंधन को पवित्रोपन के नाम से मनाया जाता है। इस दिन गुजरात में भगवान शिव की पूजा की जाती है। पश्चिम बंगाल में रक्षाबंधन को झूलन पूर्णिमा के नाम मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण और राधा की पूजा की जाती है साथ ही महिलाएंं अपने भाईयों के अच्छे जीवन के लिए उनकी कलाइयों पर राखी बांधती हैं।

इस त्योहार के शुरूआत का ठीक से कहीं वर्णन नहीं मिलता लेकिन भविष्य पुराण के अनुसार देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानवों के हावी होने से भगवान इन्द्र घबराकर बृहस्पति के पास गए और वहां बैठी इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने मंत्रों की शक्ति का रेशम का धागा इंद्र की कलाई पर बांध दिया। इससे इंद्र दानवों की लड़ाई में विजयी हुुए।


उस दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था और यह माना जाता हैं कि तभी से धागा एवं राखी बांधने की प्रथा चली आ रही हैं। इसी तरह रक्षा बंधन का संबंध सिन्धुघाटी सभ्यता से जुड़ा भी मानते हैं और कहा जाता हैं कि यह परम्परा छह हजार साल पुरानी हैं।

इसी प्रकार मध्यकालीन युग में राजपूत एवं मुगलों के बीच संघर्ष के समय गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से बचने का कोई रास्ता नहीं निकलता देख राजस्थान में चित्तौड़गढ़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी और हुमायूं ने उसकी रक्षा कर उसे बहन का दर्जा दिया। इसी तरह रक्षा बंधन के कई साक्ष्य इतिहास में दर्ज हैं।

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